शायरी मेरे जीवन की
मुझे तैरने दे या
फिर बहना सिखा दे
अपनी रजा में अब तो रहना सिखा दे। ......
मुझे शिकवा न हो कभी भी किसी से। ......
ऐ कुदरत। ...
मुझे सुख और दुःख के पार जीना सिखा दे
" मेरा मजहव तो ये दो हथेलियाँ बताती हैं। ...
जुड़े तो " पूजा " ........ खुले तो " दुआ " ...... कहलाती हैं
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